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शिकारी - लेखनी प्रतियोगिता -17-Mar-2022

अभिमान न जाने कितनों को शिकार बनाता
बिन बताए अनेक ज़िन्दगियाँ निगल जाता।

रावण भी इसका शिकार होने से बच न पाया
वशीभूत हो भू पर खुद को धराशायी पाया।

महिषासुर को जब इसने शिकंजे में जकड़ा
माँ दुर्गा ने आ  सबक सिखाया उसे तगड़ा।

लालच का शिकार बन जाता है जब मानव
मोह-माया का मकड़जाल उसे बनाता दानव।

जब भी किसी शिकारी ने किया है शिकार
जाने-अनजाने में श्रवण कुमार को दिया मार।

शिकार की लत ने कन्हैया पर भी वार कराया
चरण मणि को मृग नयन जानकर तीर चलाया।

स्वर्ण हिरन रुपी मारीच ने सीता को  लुभाया
शिकार के लोभ ने रावण के चंगुल में फँसाया।

शिकारी हो ईर्ष्या-द्वेष, लालच या फिर अहंकार
सब मिलकर करते हैं मानवता पर bharप्रहार।

जब हम मिल दिल में नैतिक मूल्यों को जगाएँगे
तभी समस्त दानवों के शिकार होने से बच जाएँगे।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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10 Comments

Punam verma

18-Mar-2022 04:33 PM

Very nice mam

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Dr. Arpita Agrawal

19-Mar-2022 09:11 AM

हार्दिक आभार पूनम जी 😊

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Abhinav ji

18-Mar-2022 08:34 AM

Very true n very nice mam

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Dr. Arpita Agrawal

18-Mar-2022 09:12 AM

Thanks a lot Abhinav ji

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Gunjan Kamal

18-Mar-2022 08:29 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌 ए

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Dr. Arpita Agrawal

18-Mar-2022 09:11 AM

बहुत-बहुत शुक्रिया गुंजन जी🥰

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